Sunday, December 11, 2011

'Param Shradhey Shri Radhe Maa ji' ki leelaye - P.L. Kohli



जय माता दी,
                  सर्वप्रथम करुणामयी श्री राधे माँ जी के पावन चरणों में मेरा और मेरे समस्त परिवार का कोटि कोटि नमन, परमुप्कारी सतसंगत जी अपनी ज़िन्दगी के सबसे महत्वपूर्ण चमत्कारों में से एक अनुभव जो मैं आपके समक्ष रखने वाला हूँ उससे पहले श्रीमद भगवत गीता जी के सार में से आखरी दो सार आपके ध्यान में लाना चाहूँगा जो कि इस प्रकार हैं :
  • तुम अपने आपको भगवान के अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त है।

  • जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान के अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवन-मुक्त का आनंद अनुभव करेगा।

मेरा नाम पुरषोत्तम कोहली है और मैं मुंबई का निवासी हूँ ,मेरी उम्र ७० साल है,आर्य समाजी संस्कारों और वातावरण में परवरिश के कारण भक्ति कि ओर  झुकाव बचपन से ही रहा है  और प्रभु कृपा इतनी हुई कि मुझे धर्मपत्नी भी भक्ति में रुचि रखने वाली ही मिली,इस भक्तिपूर्ण वातावरण और श्रद्धा भक्ति का परिणाम भी ये हुआ के हमारे बच्चों में भी भक्ति का रुझान बचपन से ही है ,कुछ ग्यारह साल पहले कि घटना है  हमारे परिवार के बहुत ही करीबी मित्र जो कि ठीक हमारे सामने वाले फ्लैट में रहते थे ,उन्होंने किसी बैंक से एक भारी रकम का क़र्ज़ लेने कि सोची और गेरेंटर के तौर पर मेरे बेटे को रखने कि बात कि ,क्यूंकि हमारे उनसे इतने घनिष्ठ सम्बन्ध थे मैंने अपने बेटे को स्वीकृति दे दी, कुछ दिन बाद वो मित्र अपने गाँव चला गया और काफी दिन तक नहीं लौटा ,करीब दो या तीन महीने बीते तो बैंक वालों ने परेशान हो कर मेरे बेटे को बैंक बुलाकर कहा कि आपके मित्र का कुछ पता नहीं है तो अब ये सारी किश्ते और बैंक का क़र्ज़ आपको ही चुकाना पड़ेगा,हमने ये प्रस्ताव रखा कि उसका जो फ्लैट है ,बैंक उस फ्लैट को बेच कर अपना पैसा वसूल ले, पर होनी कि करनी देखिये कि जिस फ्लैट कि कीमत उदाहरण के लिए एक रुपये आंकी गयी हो उस फ्लैट के लिए २० पैसे कि  कोटेशन आ रही थी |

साथियों उस मित्र के इंतज़ार और बैंक कि इस कर्र्य्वाही में करीब ६ साल बीत गए और आखिरकार बैंक ने हमारे फ्लैट को जपत करने का नोटिस भेज दिया ,तब तक हम ममतामयी श्री राधे माँ जी कि शरण में आ चुके थे ,बरहाल इस केस कि सुनवाई के लिए इस उम्र में करीब ४० किलोमीटर का सफ़र तये करके कोर्ट जाना पड़ता था, काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा जिससे हमारे परिवार में बहुत हद तक अस्थिरता सी आ गयी थी क्यूंकि बैंक इतने सालो का ब्याज जो कि कई लाखों में जाता था,उसका ज़िम्मेदार हमे बना रहा था ,कहते है न गरीबी में आटा गीला,ठीक वैसा हाल हो गया था,मैं रिटाएर हो चूका था,मेरी पत्नी स्कूल में टीचर और मेरे बच्चों का भी काम काज इतना ज़ोरों में नहीं था कि हम इस भुगतान का बोझ उठा पाते,मुझे याद है कि कृपालु श्री राधे माँ जी कि शरण में आये हुए थोडा ही वक़्त गुज़रा था और उस दिन २२ नवम्बर कि रात थी जब माँ कि चोकी हो रही थी और तत्पश्चात देवी माँ जी के दर्शन होने थे, वहीँ बीच चोकी में पता नहीं मेरे मन के भाव रुके नहीं और मेरी आँखों से मानो एक सैलाब सा बह उट्ठा और मैं बच्चों कि तरह फूट फूट कर रोने लगा और मन से सिर्फ यही अरदास निकली के हे ममतामयी श्री राधे माँ जी अपने इस बच्चे का कल्याण करो,इस गहरी विपदा से मुझे और मेरे परिवार को बाहर निकालो , साथियों ये सत्य है कि मेरी देवी माँ जी अपने भक्तों कि अंतर्मन द्वारा हुई करुण पुकार अवश्य सुनतीं हैं,जैसे ही दर्शन खुले और मैंने दर्शन किये तो मुझे देवी माँ जी ने अपने पास बुलाकर अपनी ममतामयी नज़रों से निहारा,आशीर्वाद दिया और जाने का इशारा भी किया, मुझे यकीन तो था ही कि करुणामयी श्री राधे माँ जी ही मुझे इस कष्ट से निकालेंगी जो कि अब और द्रिड हो गया , इसके तीन दिन बाद २५ नवम्बर को कुछ ऐसा हुआ जो कि शायद मेरे और मेरे परिवार के लिए नामुमकिन ही था, दोपहर को बैंक से एक व्यक्ति हाथ में कुछ पपेर्स का डोकेट लिए हमारे घर आकर बोला कि कोहली साब ये आपके जपत किये हुए पेपर हैं और आप इस केस से बाहर हो गए हैं क्यूंकि आपके मित्र के घर कि कीमत जो कि अब तक एकदम कम आ रही थी अब उसके मूल्य से ऊपर का दाम बैंक को मिलने के कारण आप इस केस से बरही हो गए हैं!  नम्म , स्तब्ध और भीगे हुई आँखों से हम माँ के स्वरुप को देख कर लाख लाख धन्यवाद करने लगे तथा अपने चरणों में यूँ लगाए रखने की बिनती करते रहे!  राधे देवी माँ जी का मैं किन शब्दों में धन्यवाद करूँ मुझे सूझता नहीं !इस प्रेम,कृपा और परम आशीर्वाद के लिए मेरा समस्त परिवार करुणामयी श्री राधे माँ जी का सदा सदा के लिए कृतग्य रहेगा !

मैं आपसब से ये निवेदन करना चाहता हूँ कि सच्ची भक्ति,लगन और विश्वास से ही मेरी कृपालु श्री राधे माँ जी कि शरण में आइये, यकीनन आपका भी उद्धार और कल्याण होगा जैसे हमारे परिवार का हुआ है ,विदा लेने से पहले मैं आप सब को एक बार फिर श्रीमद भगवत गीता जी के सारों में से मुख्य अंतिम दो सार का स्मरण करा दूं, जो कि कुछ इस प्रकार हैं  :




  • तुम अपने आपको भगवान के अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त है।






  • जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान के अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवन-मुक्त का आनंद अनुभव करेगा।






  • यदि आप भी अपने साथ हुए चमत्कार दुसरे भक्तों को बताने के इच्छुक हों तो कृपया अपनी कथाएं या उनका वर्णन  sanjeev@globaladvertisers.in पर भेज दीजिये हम पूर्ण प्रयत्न करेंगे की जल्द से जल्द आपके अनुभव प्रकाशित हों ,और अगर आप करुणामयी श्री राधे माँ जी के बारे में और कुछ जानकारी या ज्ञान लेना चाहें तो आप टल्ली बाबा जी से +919820969020 पर संपर्क कर सकते हैं |     

    जय माता दी|

    Sunday, October 30, 2011

    Shri Radhe Maa ji ki Leelaye - Kaajal Anand






    जय माता दी ,

                         सर्वप्रथम ममतामयी श्री राधे माँ जी के पावन चर्नार्विन्दों में मेरा और मेरे समस्त परिवार का कोटि कोटि वंदन, साथियों हमने शास्त्रों में पढ़ा है की किस तरह सगर वंश को श्राप्मुक्त करने हेतु राजा भागीरथ जी ने घोर तपस्या की और माँ गंगा जी को धरती पर अवतरित होने पर विवश कर दिया ,वैसे ही मीरा बाई,नरसिंह मेहता ,भक्त प्रहलाद आदि कई उदाहरण हैं जहाँ सच्चे भाव से की गयी भक्ति प्रभु ने साक्षात रूप में अवतरित हो स्वीकार की है ! श्रद्धा , धैर्य  और विश्वास भक्ति के प्रमुख गहने माने गए हैं !


    मेरे पास आज को जो कुछ भी है वो सिर्फ देवी माँ जी की असीम अपार कृपा से ही है ,करुणामयी श्री राधे माँ जी की शरण में आने के बाद जैसे हमारी ज़िन्दगी की सूखी बंजर ज़मीन को कृपा के पावन अमृत की वर्षा मिली और हमारे दुःख संताप धीरे धीरे ख़त्म होने लगे ,हमे ज्ञान हो गया कि सदगुरु की शरण कितनी पवित्र , निर्मल और ममता से परिपूर्ण होती है ,और अंतर्यामी सदगुरु यदि कृपालु श्री राधे माँ जी हों तो समझिये सोने पे सुहागा!
    मेरा नाम काजल आनंद है ,मैं मुंबई में अपने परिवार के साथ रहती हूँ , हमारा कॉस्मेटिक्स का बिजनेस है.कुछ वक़्त पहले ऐसा हुआ कि बिजनेस ठीक से न चल पाने कि वजह से हमारे ऊपर बहुत भारी क़र्ज़ हो गया ,हमारे सुर्युदय और सूर्यास्त मानो चिंताओं से घिर गए ,हमारी गाडी क़ी किश्त ना जा पाने कि वजह से बैंक वालों ने गाडी जाप्त करने का नोटिस दे दिया था ,ऐसी गहरी चिंताजनक अवस्था में हमने अपना बोरीवली स्थित घर तक बेचने का निर्णय कर लिया,फिर भी मन में उस घर के प्रति प्रेम जैसे हमे रोक सा रहा था,परन्तु इतना विश्वास ज़रूर रहा कि मेरी राधे माँ जी हमे इस कष्ट ,विपदा और  दुःख से ज़रूर बाहर निकालेंगी अतः हमने उनकी भक्ति और ज्ञान का मार्ग कभी नहीं छोड़ा ,यही बात मन में रही कि परीक्षा कि घडी है बीत जाएगी,एक शुभ दिन जैसे हमारी भक्ति परवान चढ़ी हो,मुझे सुबह सुबह ममतामयी श्री राधे माँ जी कि परम सेविका आदरणीय छोटी माँ जी का फोन आया कि देवी माँ जी ने ध्यान में आपकी तकलीफ देख ली है और आपकी श्रद्धा भक्ति से ममतामयी श्री राधे माँ जी ने अति प्रसन्न होकर ये आदेश दिया है के निश्चिन्त हो कर आप अपना घर बेचने कि तय्यारी करें ,जैसे ही छोटी माँ जी ने ये वचन कहे मैं स्तब्ध सी रह गयी कि आखिर देवी माँ जी ने हमारे मन कि बात जान कैसे ली ,अपनी नादानी कि क्षमा मांगते हुए  माँ का कोटि कोटि धन्यवाद किया,नेत्रहीन क्या मांगे दो आँखें, बस क्या था देवी माँ जी कि आज्ञानुसार हम अपना घर बेचने में जुट गए ,,कुछ ही दिनों में हमारे घर को खरीदने के लिए हमे ऐसा ऑफर आया जो कि बहुत मुश्किल था और हम अपना घर बेच कर दूसरी जगह में शिफ्ट हो गए, जो एक वक़्त में हमपर भारी कर्जा था अब बस गिनती का ही रह गया है ,ममतामयी श्री राधे माँ जी कि असीम कृपा ने अब हमारे सुर्युदय और सूर्यास्त दोनों ही इतने उज्वल और सुखमयी कर दिए हैं कि से अब हम कृपालु श्री राधे माँ जी का धन्यवाद कर सुकून की नींद सो सकते हैं!

    जितने भी लोग इन चमत्कारों को पढ़ के श्री राधे माँ जी के अनुपम ज्ञान का रसपान कर रहे हैं ,मैं अपने अनुभव से आप सब को विनम्रता पूर्वक ये बता दूं के यदि आप भी ममतामयी श्री राधे माँ जी की इस अप्रतिम अद्भुत और अद्वितीय कृपा के पात्र बनना चाहते हैं तो उसका एक मात्र उपाए हैं देवी माँ जी की सच्ची निस्वार्थ भक्ति,यदि आपकी भक्ति में शक्ति है तभी आप करुणामयी मेरी देवी माँ जी कृपा के सच्चे हक़दार बन सकते हैं,क्यूंकि शास्त्र भी कहते हैं के प्रभु भक्तों के आधीन ही रहते हैं!
    यदि आप भी अपने साथ हुए चमत्कार दुसरे भक्तों को बताने के इच्छुक हों तो कृपया अपनी कथाएं या उनका वर्णन  sanjeev@globaladvertisers.in पर भेज दीजिये हम पूर्ण प्रयत्न करेंगे की जल्द से जल्द आपके अनुभव प्रकाशित हों ,और अगर आप करुणामयी श्री राधे माँ जी के बारे में और कुछ जानकारी या ज्ञान लेना चाहें तो आप टल्ली बाबा जी से +919820969020 पर संपर्क कर सकते हैं |               
          
    करुणामयी श्री राधे माँ जी हमारे परिवार तथा अपने सभी भक्तो पर ऐसे ही कृपा क़ी वर्षा करती रहें ,ऐसी शुभकामना करती हूँ !

    जय माता दी

    Tuesday, October 18, 2011

    'Radhe Guru Maa' ki Leelaye - Part 24

    देहली से लघभग डेढ़ घंटे के रेल रस्ते द्वारा सोनीपत पंहुचा जा सकता है | एक ठीक ठाक आबादी वाला क़स्बा, जो देश की राजधानी से सटा होने के कारण धीरे धीरे उन्नति प्रगति पर अग्रसर है |

    'जय रहेजा' | उम्र लगभग 35 साल, गोरा चिटटा हसमुख नौजवान |

    आज से दस साल पहले |


    जैसे  तैसे बी .ए. की पढाई कम्प्लीट हुई | पिता फुटपाथ  पर केले का ठेला लगाकर परिवार का गुजारा चला रहे थे | पाच भाई - बहिनों में 'जय रहेजा' तीसरे नंबर पर था | बड़ी दो बेहेनों की शादी हो चुकी थी | एक छोटा भाई और एक बेहेन अभी पढाई कर रहे थे |

    बी. ए. पास करने के बाद भी लघभग ३ साल से 'जय रहेजा' को कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल रही थी | अगर कोई नौकरी मिली भी, तो उसमे मेहनत बहुत ज्यादा और आमदनी ना के बराबर | 'जय रहेजा' परेशांन था, तो उसके पिता उससे ज्यादा परेशान | इस विषय पर की जय कुछ कमाता नहीं घर में क्लेश रहने लगा |  माँ बेचारी क्या करे, पति का पक्ष ले या बेटे का | इसी घुटन में बीमार रहने लगी | रोज रोज की घिच घिच से 'जय रहेजा' में हिन भावना बैठने लगी |

    'जय रहेजा' दिन भर नौकरी की तलाश में भटक कर, एक श्याम  भूखा प्यासा घर में घुसा तो पिता से तकरार हो गई | जब कुछ कमाता ही नहीं, तो फिर खाना कहा से आये | पिता ने खूब डाट दिलाई | जय रहेजा शुब्द भाव से घर से निकला |

    पड़ोस में माता का जागरण हो रहा था | एक तरफ भंडारा चल रहा था | सच यह है कि 'जय रहेजा' सिर्फ पेट भरने के लिये भंडारा में घुस गया | भूख शांत हुई, तो कुछ समय भजन सुन लेने की इच्छा से वह जागरण पंडाल में पहुंचे गया |


    माता के दरबार में 'जय रहेजा' ने पहली बार, पूज्य 'श्री राधे शक्ति माँ' के दिव्य दर्शन किये | जागरण में एक वक्ता   ने 'पूज्य श्री राधे शक्ति माँ'  की महिमा का बरवान करते हुए, दर्शन मात्र से सभी का कल्याण होने की बात कही |

    जय रहेजा ने मन ही मन प्रार्थना की, 'हे देवी माँ | भूक, बेकारी और मुफलिसी से कब छुटकारा मिलेगा?'

    'जय रहेजा' के बगल में बैठे एक व्यक्ति ने पुछा, वह क्या काम-धंदा करता है?  'जय रहेजा' ने बताया | उस व्यक्ति ने कहा कि अगर जय रहेजा कल सुबह दहेली से उसका थोडा सामान लाकर दे तो उसे वह थोडा रकम दे सकता है | जय रहेजा फ़ौरन राजी हो गया |

    जय रहेजा के अनुसार उस आदमी का इलेक्ट्रोनिक्स का कारोबार था | जय रहेजा | उसके लिये देहली से इलेक्ट्रोनिक्स पार्ट्स की डीलीवरी लाने लगा | 'जय रहेजा' को अच्छी इनकम तो हुई ही, इस दौरान वह इलेक्ट्रोनिक्स सामान के  बारे में  जानकर भी हो गया | कुछ इलेक्ट्रोनिक्स पार्ट्सवालोंसे अच्छी पहचान भी हो गई | कुछ रकम उधारी से उठाकर और कुछ सामान उधार पर लेकर जय रहेजा ने अपनी एक इलेक्ट्रोनिक्स की छोटी सी दुकान खोल ली | धंदा चल निकला |

    लघभग पाच साल में ही 'जय रहेजा' सोनीपत में एक शानदार इलेक्ट्रोनिक्स सामान के शो-रूम का मालिक बन गया |



    'जय रहेजा' दिन - रात काम में इतना बिजी हो गया था कि उसे खाने की भी फुर्सत नहीं मिलती थी | मगर वह 'पूज्य श्री राधे शक्ति माँ' के दरबार में जाने की फुर्सत निकाल ही लेता | वह 'देवी माँ' जी का शिष्य बन गया था | जहाँ भी, जिस शहर में भी, किस के  भी घर में 'देवी माँ' की चौकी हो वह, पूर्ण श्रद्धा से वहा पहुचता है |

    इस गुरुपूर्णिमा पर जय रहेजा सोनीपत से मुंबई आया | अपने अति बिजी शेडुअल के बावजूद वह एक सप्ताह यहाँ  रहा और उसे पूज्य 'श्री राधे माँ भवन 'में  सेवा की आज्ञा भी हुई |

    जय रहेजा का मानना है कि एक जागरण में केवल दूर से ही 'देवी माँ' जी के दर्शन किये और सिर्फ एक प्रार्थना - मात्र से ही उसके सभी दुःख दूर हो गये | वह  प्रति क्षण 'राधे शक्ति माँ' जी का गुणगान करते नहीं थकता |

    जय रहेजा की तरह  सभी भक्तो की मनोकामना पूर्ण हो |

    जय 'श्री राधे शक्ति माँ' |

    (निरंतर)



    Note - 
    Dear all, thanks for your overwhelming response, we will be sharing your experience with all the devotees of 'Shri Radhe Maa' very soon. 

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    प्रिय 'देवी माँ' के भक्तो 'माँ की लीलाए' हम निरंतर शृंखलाबंध प्रस्तारित कर रहे हैं | इसमें हमने 'देवी माँ' के सानिध्य में आने वाले भक्तों के अनुभव को कलमबदध किया हैं | 'माँ की लीलाये' आप को कैसी लगी रही हैं इस बारे मैं आप अपनी राय, अपनी समीक्षा, अपना सुझाव हमें निम्न इ-मेल पर भेज सकते हैं |


    आप अगर अपने अनुभव,  'देवी माँ' के अपने साथ हुए चमत्कार को सबके साथ बाटना चाहते हैं,  तो हम आपके नाम और पते के साथ इसे पेश करेंगे | आप चाहेंगे तो नाम पता जाहिर नहीं करेंगे आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में -
    Sanjeev Gupta
    Email - sanjeev@globaladvertisers.in



    Tuesday, October 11, 2011

    'Radhe Guru Maa' ki Leelaye - Part 23




    परम श्रधेय श्री राधे शक्ति माँ को हाज़िर नाजिर मान कर कहता हूँ की जो कहूँगा सच कहूँगा, सच के सिवा कुछ न कहूँगा / - सरल कवी|

    सिक्खों के पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहेब में कहा है -" कलयुग में कीर्तन परधाना |" गोस्वामी श्री तुलसीदास जी महकाव्य  श्री राम चरित मानस में लिखेते है - ' कलयुग केवल नाम अधरा | सभी प्राचीन ग्रंथो, ऋषि मुनियों तथा महापुरुषो ने भजन सत्संग को मानव  जीवन में कल्याण का सर्वश्रेष्ठ साधना माना है | यही कारण है कि ममतामयी पूज्य 'श्री राधे शक्ति माँ' को भजन कीर्तन सत्संग अतिप्रिय लगते है | भजन संगीत में मग्न पूज्य श्री राधे शक्ति मा को अनेक बार देखा गया है कि वे भजन गा रहे गायक से माइक  लेकर स्वयं भजन गाने लगती है | 

    'श्री राधे माँ' भवन के पाचवे माला पर स्थित पावन गुफा में जो संगत 'देवी माँ'  कि गुफा में निरंतर भजन प्रसारित होते रहते है, जिनको लय में मग्न होकर 'श्री राधे शक्ति माँ'  कई बार ध्यान मुद्रा में नयन बंद कर भजन भक्ति में लीन हो जाती है | तो कई बार भावविभोर होकर नृत्य मुद्रा धारण कर अपने  भक्तो को अदभूत  लीलिए दिखलाती है | इन्हें भजन प्रसारण के दौरान भक्तजनो को पूज्य 'देवी माँ'  की  विभिन्न छवियों दर्शन होते है |

    जैसा कि सबको मालूम है 'श्री राधे शक्ति माँ' भवन में हर पंद्रह दिन बाद माता कि चौकी का आयोजन होता है | माता की चौकी में हजारो की संख्या में संगत उपस्थित होती है | यहाँ हिंदुस्तान ही नहीं विश्वभर में प्रसिद्ध भजन गायक अपनी भक्ति संगीत कि कला से पूज्य देवी माँ  कि वंदना कर चुके है और निरंतर कर रहे है | प्रत्येक भजन - गायक 'देवी माँ'  की हाजरी लगाने को लालायीत  रहता है | जिस दिन उसे यहा भजन गाने का सु अवसर प्राप्त होता है | वह अपने आप को भाग्यशाली मानता है | यहा यह उल्लेख करना भी चाहूंगा कि एक कार्यक्रम में लाखो की पारिश्रमिक  प्रप्ति वाले भजन गायक यहाँ मात्र सेवा भाव से अपनी प्रसूति देते है |

    पूज्य 'श्री राधे शक्ति माँ' की सेवा में किये जाने वाले जागरण और माता की चौकी में आने वाले भक्तजन प्रत्येक पंद्रह दिन बाद दोहरा लाभ उठाते है | लगभग  रात्रि के  आठ  बजे 'देवी माँ' के दिव्य दर्शन आरम्भ हो जाते है | प्रत्येक माता कि चौकी में अनेक कलाकार उपस्थित रहते है | बहुत बार ऐसा भी देखा गया है कि कलाकारों की संख्या अधिक होती है और समय सीमा सीमित |  यहाँ आयोजक विचित्र परिस्थिति में होते है | एक एक भजन गायक जो दो - अढाई घंटे निरंतर गाने की क्षमता रखता है उसे केवल मात्र दो - या तीन भजन गाने को मिलते है | लेकिन भजन गायक इसे भी अपनी खुश किश्मती मानता है कि चलो पूज्य 'श्री राधे शक्ति माँ' के चरणों में अपनी आस्था के फुल चढाने  का अवसर तो मिला |


    लघभग सात बजे सायं  से ही 'श्री राधे माँ  भवन' के ग्राउंड प्लोर स्थित हॉल में संगतो का प्रवेश शुरू हो जाता है | जैसे ही भजन कीर्तन आरंभ होते है, ठसाठस भरे हॉल में माता के भक्त भक्ति भाव में डूब जाते है | तालिय बजाते, मस्ती में झूमते गायक के संग-संग गाते हुए वे भक्तजन  लम्बे समय तक भक्ति संगीत का आनंद लेते है | जैसे ही 'पूज्य श्री राधे शक्ति माँ' के दर्शनों का सिलसिला आरम्भ होता है हॉल  में उपस्तिथ लोग सीढियों की तरफ अग्रसर होते है | जबकि हॉल के बाहर खड़ी संगत शीघ्रता से हॉल में प्रवेश कर भक्ति संगीत रस में डूब जाती है | यह सिलसिला देर रात तक चालू रहता है | संगत को एक से बढकर एक प्रतिभावान गायक का हुनर देखने सुनने को मिलता है, जबकि गायक कलाकार को श्रोताओं की कमी महसूस नहीं होती | इस दौरान गायक कलाकार पूज्य 'श्री राधे शक्ति माँ'  की अनेक लीलाओं का वर्णन कर भक्तोजानो को मा की दयालुता, ममता और करुणा अवगत कराते रहते है | बहुत से कलाकार अपनी आप बीती में 'देवी माँ' द्वारा उन पर किये गये उपकारो का वर्णन कर अपने भाजोनो के माध्यम से कृतज्ञन्यता दर्शाते  है | भजन गायकों के साथ साथ साज बजाने वाले कलाकारो की प्रशंसा करना अति आवश्यक है | अपने अपने साज बजाने में निपुण ये गुणी कलाकार इसलिये भी प्रशंसा  के पात्र है कि एक कार्यक्रम में लघभग आधा दर्जन भर गायक अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करते है, परुन्तु ये वाद्य कलाकार निरंतर क्रमशः सभी कलाकारों की बिना थके बिना रुके संगत करते है | बहुत से कलाकार इन वाद्य कलाकारो की निपुणता के लिये भरी सभा में उनका गुणगान भी करते है |

    आज के लेख के अंत में पूज्य 'श्री देवी राधे शक्ति माँ' के दर्शन के लिये आने वाली संगत से निवेदन करना चाहूंगा की चौकी में बैठकर सीधे पाचवे माला पर जाने की जल्दबाजी नहीं करे | संगत के लिये आयोजीत किये जाने वाले इस कार्यक्रम में भक्ति संगीत का पूर्ण आनंद ले | मग्न होकर भजन सुने, भक्ति रस में गहरे डूब जाये और फिर आराम के साथ पूज्य 'देवी माँ'  के दर्शन करने लिये पाचवी मंजिल पर स्थित गुफा में पहुचे | आपको एक अदभुत आनंद की अनुभति होगी |

    जय 'श्री राधे शक्ति माँ' |

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    Sanjeev Gupta
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    Wednesday, October 5, 2011

    'Radhe Guru Maa' ki Leelaye - Part 22

    परम श्रधेय श्री राधे शक्ति माँ को हाज़िर नाजिर मान कर कहता हूँ की जो कहूँगा सच कहूँगा, सच के सिवा कुछ न कहूँगा / - सरल कवी|

    प्रत्येक पंद्रह दिन के बाद हजारो माँ  के भक्तो को पूज्य 'श्री राधे शक्ति माँ' के ममतामयी दुर्लभ दर्शन प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त होना, दु:खी, गमजदा और समस्याग्रस्त भक्तों को अपनी समस्याए देवी माँ तक पहूँचाने का अवसर प्रदान करना और उन सबकी समस्याओ का निवारण होने की शुभ कृपा प्राप्त होने का अगर श्रेय किसी को मिलाता है तो वह है 'संजीव गुप्ता' |


    एम एम मिठाइवाले श्री मनमोहन गुप्ता, मुंबई ही नहीं संपूर्ण भारत के अग्रवाल समाज में समाजसेवी, दानी और राष्ट्र भक्त के रूप में जाने जाते है | उन्ही श्री मनमोहन गुप्ता के होनहार प्रतिभाशाली एवं बहुमुखी व्यक्तित्व के मालिक है संजीव गुप्ता |
    युवा और उद्यमी संजीव गुप्ता आज से लघभग ९ वर्ष पूर्व पूज्य 'ममतामयी श्री राधे माँ'  के एक कार्यक्रम मे मात्र दर्शन भाव से गये थे | पूज्य देवी माँ  के दिव्य दर्शनों ने उनके भीतर एक अलौकिक प्रकाश भर दिया |

    'हमारा बहुत बड़ा बिजिनेस है | बढ़िया मान-सन्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा हमारे पूज्य पिताश्री ने अथक मेहनत और प्रयासोसे प्राप्त की | सुख सुविधा की कोई कमी नहीं | कोई कठिनाई नहीं | कोई दुविधा नहीं | सब कुछ अच्छा ही अच्छा...............संजीव गुप्ता ने अपनी बात कही, 'लेकिन इन सबके बावजूद, न जाने क्या जीवन मे कुछ खाली सा लग रहा था | एक ऐसी  अज्ञात कमी जो समझ मे नहीं आ रही थी,  इसे कैसे पूरा किया जा सकता है | कुछ नीरसता  कुछ उदासनीता और कुछ रिक्तता  का वातावरण सदैव बना रहता था |

    इसी  अनभिज्ञ  ख़ुशी की तलाश संजीव गुप्ता को 'ममतामयी  श्री राधे माँ' के सानिध्य में ले गई |

    पहले कार्यक्रम में, 'श्री राधे माँ'  के ममतामयी दर्शन ने संजीव गुप्ता को अहसास कराया कि वो अज्ञात कमी जो उन्हें निरंतर महूसस हुआ  करती थी, उसका समाधान मिल गया है |

    संजीव गुप्ता ममतामयी पूज्य श्री राधे शक्ति माँ  के प्रत्येक  कार्यक्रम मे भाग लेने लगे | मालाड  पश्चिम स्थित एवरशाइन नगर  से लेकर वाशी,  विरार और मुंबई के अनेक स्थानों पर 'श्री देवी माँ'  के भक्ति कार्यक्रम और दर्शन आयोजीत होते रहते थे | संजीव गुप्ता प्रत्येक कार्यक्रम में  पूर्ण निष्ठा और समर्पण भाव से 'देवी माँ' के सेवक बनकर शामिल होते | 'ममतामयी श्री राधे माँ'  ने अपने इस अनन्य भक्त के  भक्ति और लगन को  पेहेचाना| निरंतर सेवा का फल प्राप्त होने लगा | संजीव गुप्ता के भीतर की रिकता भरनी शुरू हुई | एक आनंद कि तरंग उनकी भीतर प्रवाहित  होने लगी |

    संजूभैय्या  के निरंतर आग्रह करने पर,  उनकी भक्ति और निष्ठां को देखकर  'पूज्य श्री राधे शक्ति माँ', ने उनकी बिनती स्वीकार की और उन्होंने अपना आसन  'श्री राधे माँ भवन '- बोरीवली  में तय किया |

    गुप्ता परिवार तो जैसा धन्य हो उठा | पुरे का पूरा परिवार 'पूज्य देवी माँ' की कृपा से निहाल हो गया | एम. एम. हाउस अब 'श्री राधे शक्ति माँ'  का पावनधाम बन गया | देश - विदेश मे फैले 'देवी माँ' के असंख्य भक्तो को 'श्री राधे माँ भवन' का पता मिला तो उनका आना शुरू हो गया |

    संजूभैय्या ने 'ममतामयी राधे माँ'  के दर्शनार्थीयों  के लिये रहने, ठहरने और भोजने जलपान की व्यवस्था की | जैसे जैसे संगतो की संख्या बढ़ती जा रही थी व्यवस्था में कुछ बदलाव करना आवश्यक था | बहुत विचार विमर्श के बाद तय हुआ कि महीने में एक चौकी  'ममतामयी श्री राधे माँ'  के दर्शनों के लिये रखी जाए | लेकिन सांगतो को यह माह की अवधी  बहुत ज्यादा लम्बी लगी, अतः प्रत्येक दुसरे शनिवार यानि पंद्रह दिनों के बाद दर्शनों का दुर्लभ अवसर प्राप्त होने लगा |

    संजूभैय्या  के तन मन में  'पूज्य श्री राधे माँ'  की कृपा लहर निरंतर प्रवाह कर रही है | संजूभैय्या का मानना है कि जब से पूज्य 'राधे माँ' के चरण उनके निवास स्थान मे पड़े है, उनके जीवन का जैसा  प्रत्येक उद्देश सार्थक हो रहा है | संजूभैय्या कि एडवरटायसिंग कंपनी ग्लोबल अड़वरटायझरस  जो दिन दौगुनी रात चौगुनी प्रगति कर रही है , यह सब पूज्य 'देवी माँ'  का आशीर्वाद है |

    संजूभैय्या का मानना है कि उनके परिवार उनके कारोबार और यश मान सन्मान मे निरंतर प्रगति का श्रोत पूज्य 'श्री राधे शक्ति माँ'  की असीम अनुकम्पा और दया दृष्टी है | संजीव गुप्ता अपनी आप बीती बताने के बाद अंत मे
    इन  पंक्तिया को गुनगुनाने  लगते है, "मेरी झोली छोटी पड़ गई रे, इतना दिया मुझे माता |"


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    Dear all, thanks for your overwhelming response, we will be sharing your experience with all the devotees of 'Shri Radhe Maa' very soon. 

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    प्रिय 'देवी माँ' के भक्तो 'माँ की लीलाए' हम निरंतर शृंखलाबंध प्रस्तारित कर रहे हैं | इसमें हमने 'देवी माँ' के सानिध्य में आने वाले भक्तों के अनुभव को कलमबदध किया हैं | 'माँ की लीलाये' आप को कैसी लगी रही हैं इस बारे मैं आप अपनी राय, अपनी समीक्षा, अपना सुझाव हमें निम्न इ-मेल पर भेज सकते हैं |


    आप अगर अपने अनुभव,  'देवी माँ' के अपने साथ हुए चमत्कार को सबके साथ बाटना चाहते हैं,  तो हम आपके नाम और पते के साथ इसे पेश करेंगे | आप चाहेंगे तो नाम पता जाहिर नहीं करेंगे आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में -
    Sanjeev Gupta
    Email - sanjeev@globaladvertisers.in

    Wednesday, September 28, 2011

    'Radhe Guru Maa' ki Leelaye - Part 21







    परम श्रधेय श्री राधे शक्ति माँ को हाज़िर नाजिर मान कर कहता हूँ की जो कहूँगा सच कहूँगा, सच के सिवा कुछ न कहूँगा / - सरल कवी|

    'श्री राधे
    माँ भवन 'में ममतामयी दया की मूरत पूज्य 'श्री राधे शक्ति माँ' के दर्शन के लिये लगी कतार में, मैं धीरे धीरे पौड़ी पौड़ी चढ़ता हुआ' दूसरी मंजिल तक पंहुच चूका था | 


    एक कोने में खड़े तंदुरस्त अच्छे कद  काढ़ी वाले वक्ती को देखकर मैंने एक हाथ उठाकर धीरे से 'जय माता दी' कहा | उसने स्नेहयुक्त मुस्कान के साथ मेरी जय माता का उत्तर दिया |

    वहा लगभग पैतालीस के आसपास की उमर का चमकते चेहरेवाला व्यक्ति था | उसके गले में पूज्य 'श्री राधे शक्ति माँ' क़ी फोटो वाला परिचय पत्र लटक रहा था |

    "आपका परिचय जान सकता हूँ?" मैंने मैत्रीपूर्ण स्वर में पूछा |

    "अविनाश..............." वहा पंजाबी लहजे में बोला,  "अविनाश वर्मा | लुधानिया से आया हूँ  |"

    "अविनाश जी .........." मैंने हाथ आगे बढाया,  "मेरा नाम भगत है | आपका व्यक्तित्व देखकर मेरा मन किया क़ी में आपसे कोई बात करू |"

    "जरुर करो ........" वहा गर्म जोशी से हाथ मिलाते हाए  बोला," क्या बात करेंगे ?"

    "आप' देवी माँ' के दर्शन के लिये कब से आ रहे है ?"  मैंने उत्सुक स्वर में पूछा | 




    'मैंने तो 'देवी
    माँ' का तब से पुजारी हूँ .................." अविनाश गर्वित स्वर में बोला, " जबसे  'देवी माँ' जी पंजाब मुकेरिया के आश्रम में  थे | वहा 'देवी माँ' का बहुत ही आलीशान मंदिर है|  मुकेरिया ही क्यों देश के अनेक शहर में इनके आश्रम है | देहली में  में बहुत ही भव्य मंदिर है | यहाँ ..........जब से मुंबई में 'देवी माँ' ने अपना आसन लगाया है, तब से में लगातार बिना नागा आ रहा हूँ  | "

    "कई बार 'देवी माँ' का विशेष आदेश होता है और में दौड़ा चला आता हूँ |"

    "अच्छा.............? मैंने हर्ष और हैरानी भरे स्वर में पूछा,"
    'देवी माँ' विशेष आदेश से भी बुलाती है ?"

    " हाँ " अविनाश एकदम भावुक हो उठे, "एक बार
    'देवी माँ' का संदेश मिला, फ़ौरन मुंबई पहुँचो"  हांलाकि मैं बहुत बिजी शेडूल में था मगर 'देवी माँ' का आदेश मिलते ही फ़ौरन फ्लाइट पकड़ कर यहा पंहुचा | "
    मै अत्यंत दिलचस्पी से उनकी आप बीती सुन रहा था |

    '
    'देवी माँ' ने बुलाकर सामने बिठालिया -----' अविनाश ने बात आगे बढाई,' उन्होने  बताया कि आज से सात-आठ साल पहले उनका एक भक्त अपने परिवार के साथ दर्शन के लिये आया था | उस भक्त के साथ एक बहुत ही प्यारी भोली सी लड़की थी जो उनकी  बेटी थी | 'देवी माँ' ने उस भक्त को वचन दिया कि इस कन्या क़ी शादी वे स्वयं करेगी | वह भक्त अपनी रोजी- रोटी  क़ी तलाश में आसाम चला था | अपने कारोबार में व्यस्त रहने लगा | उसकी बेटी शादी लायक हो गई | उस भक्त ने अपनी बेटी क़ी शादी तय करदी | तारीख भी निश्चित हो गई | मगर वह भक्त 'देवी माँ' द्वारा कही बात शायद भूल गया |  मगर 'देवी माँ' तो अंतर्मायी है | अपने भक्तों  क़ी हर बात को जानती है | उन्होंने कहा 'अविनाश | मेरे उस भक्त क़ी बेटी क़ी इसी हप्ते शादी है, और तुम्हे जाकर शादी का सारा इंतजाम करना है | भगत जी 'देवी माँ' ने दुल्हन के लिये शादी का जोड़ा, दुल्हे के वस्त्र तथा अनेक सामान मुझे सोंपे और कहा कि शादी का पूरा इंतजाम अच्छे से होना चाहीये |"





    " वाह sss वाह",  मेरा  मूंह हैरानी से खुला रह गया | मै अवाक अविनाश क़ी तरफ ताक रहा था |

    "भगत जी --------" अविनाश श्रद्धा भरे स्वर में बोला, "मै
    'देवी माँ' का आदेश और शादी का सारा लेकर आसाम पंहुचा | 'देवी माँ' ने मुझे पूरा address भी समझाया था |  मैं उस भक्त के निवास स्थान पर पंहुचा | "

    " वह भक्त तो हैरानी से पागल हो गया |  'देवी माँ' क़ी कृपा, दया देखकर उसका पूरा परिवार ख़ुशी के आंसू बहाने लगा और 'देवी माँ' को लाखों दुआए देने लगा | मैं वहां शादी तक रहा | 'देवी माँ' क़ी असीम कृपा से इतनी शानदार शादी हुई  कि पूछो मत | शादी क़ी पुरे गाँव में चर्चा हो रही  थी | "

    "जय हो 
    'देवी माँ'|" मैंने श्रद्धा से हाथ जोड़े, "इसे कहते है माँ क़ी ममता |" 



    "शादी के बाद उस भक्त का पूरा परिवार............" अविनाश वर्मा भावुक स्वर में बोला, " अपने  समधीयोंके से साथ  यहाँ
    'देवी माँ' के दर्शनो के लिये आया |"

    "किसी ने सच ही कहा है ..............." मैं अपना ज्ञान बधारने, "बच्चे अक्सर माँओं को भूला जाते है, मगर माँए अपने बच्चों  क़ी हर भूल-गलती को भुलाकर सदा उनपर ममता क़ी बरसात करती है | "


    (निरंतर -------')


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