Wednesday, August 17, 2011

'Radhe Guru Maa' ki Leelaye - Part 11





Part 11





परम  श्रधेय  पूज्य  श्री  राधे  शक्ति  माँ  को  हाज़िर  नाज़ीर  मान  कर , जो  कहूँगा  – सच  के  सिवा  कुछ  नहीं  कहूँगा  – सरल  कवी 


गायक  सरदूल  सिकंदर  ने  जोरदार  जयकारा  लगवाया , “जयकारा  मेरी  गुडिया  जैसी  प्यारी  ‘राधे  माँजी ’ दा….”


“बोल  सांचे  दरबार  की  जय !” हॉल  में  मौजूद  संगत ने  छत  हिला  देने  वाले  बुलंद  स्वर  में  उत्तर  दिया |


सरदूल  सिकंदर  ने  अपना  गायन  समाप्त   कर  बैठे ने  के  लिए  निचे  ताका. मंच  संचालक  ने  माइक  लेकर  कुछ  कहना   चाह , तभी  शिव  चाचा  मंच  संचालक  के  निकट  पहुंचे |  मंच  संचालक ने  उनका  इशारा  समझा  और  माइक  उन्हें  थमा  दिया|


हॉल  में  सन्नाटा  सा  छा गया | शिव  चाचा के  हाव -भाव  प्रदशित  कर  रहे  थे  की  वह  कोई  महत्त्वपूर्ण  सूचना  देने  वाले  थे  |


मैंने  अपना  सर  विंडो  के  ग्रिल  से  सटा लिया  और  शिव  चाचा की  बात  सुनाने  को  सचेत  हो  गया |

“जयकारा श्री  राधे  शक्ति  माँ जी ’ दा !” शिव  चाचा  ने  सादे  मगर  धीमे  से  स्वर  में  जयकारा  लगवाया |


“बोल  सांचे  दरबार  की  जय !” अपने  दोनों  हाथ  उठाकर  सेवादारो  के  संग  संग  संगत  ने  जयकारा पूरा  किया |


“प्रिय  माता  के  पुजारियों !” शिव  चाचा गंभीर  स्वर  में  बोले , “पूज्य  देवी  राधे  शक्ति  माँ'  के  दर्शनों  के  लिए  हमने  ह़र पंद्रह  दिन  बाद  यानि  एक  शनिवार  छोड़कर  अगले  शनिवार  , यानी  महीने  में  दो  दिन  निश्चित   किये  थे | यह  सिलसिला  पिछले  कई  सालो से  चला  आ  रहा  है |  माँ  राधे  शक्ति  माँ  की  उपासना  पूजा  अर्चाने  करने  वालों  की  संख्या  निरंतर  बढती  जा  रही  है !” 


हॉल  में  तालिया गूंज  उठी |


“हर  पंद्रह  दिनों  बाद  यहाँ  लगने  वाले  भक्तो  के  मेले  में  आज  में  हर्ष  के  साथ  चर्चा  करना  चाहता  हूँ | पिछले  अनेक  दर्शनों  वाले  दिन  हमने  पाया  है  की  निरंतर  बढती  जा  रही  संगत  के  कारन  हम  लोग  व्यापक  व्यवस्था  करने  में  थोड़ी  असुविधा  महसूस  कर  रहे  है | असुविधा  से  मेरा  क्या  मतलब  है,  में  स्पष्ट  करना  चाहता  हूँ |”


शिव  चाचा एक  क्षण  के  लिए  रुके |


थोडा  ख़ास  कर  गला  साफ़  किया  और  फिर  बात  आगे  बधाई , “ हमारे  तमाम  सेवादार , गुप्ता  परिवार  के  सदस्य, गायक  मंडली और  साजिन्दे , वॉचमेन, और  दर्शन  के  लिए  निश्चित  शनिवार की  सुबह  से  ही  तयारी  में  जुट   जाते  है | दूर  दराज  जैसे  की  दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात, या  अन्य  प्रांतों से  आने  वाली  संगत  सुबह  से  ही  यहाँ  पहचानी  शुरू  हो  जाती  है | शाम  ढलते  ही  मुंबई  तथा  आस  पास  के  भक्तो  के  टोले  यहाँ  हॉल  में  एकत्रित  होने  शुरू  हो  जाते  है | पिचले  कई  महीनो  से  ‘देवी  माँ ’ के दर्शानोका  सिलसिला  देर  रात  तक  चलता  रहता  है | कई  बार  तो भोर  तक  हो  जाती  है |”


सांगत  ने  करतल  ध्वनि  से  अनुमोदन  किया |


“जय  माता  दी ” शिव  चाचाने हात  उठाकर  शांत  रहने  का  इशारा  किया | हॉल  में  फिर  हल्का  सा  सन्नाटा  च  गया |


‘अब …” शिव  चाचा  ने  तनिक  ऊँचे  स्वर  में  कहा , “ हमने  निर्णय  लिया  है ..की  संगत  को  पंद्रह  दिन  की  बजाय सात दिन  के  बाद  यानिकी  प्रत्येक  शनिवार  को  पूज्य श्री  राधे  शक्ति  माँ  के  दर्शनों  का  लाभ  प्राप्त  होगा |”


उपस्थित  संगतने  हर्षके  साथ  जो  तालिय  बजने  शुरू  की  … वो  कई  देर  तक  निरंतर  बजती  रही |

“लेकिन ….”  शिव  चाचा ने  फिर  शांती  बनाये  रखने  के  लिए  हाथ  हिलाते  हुए  कहा , “अब  दर्शनों  के  लिए  व्यवस्था  में  थोडा  परिवर्तन  किया  गया  है | आप  लोगोको  हॉल  में  प्रवेश  करने  से  पहले  प्रत्येक  दर्शनार्थी  को  एक  कार्ड  दिया  गया  है |”


अनेक  भक्तोने  अपना  कार्ड  हवा  में  लहराया |


“बिलकुल  ठीक !” शिव  चाचाने  एक  उंगली  ऊपर  की, “अब  मेरी  बात  गौर  से  सुनिए | ये  कार्ड  अलग  अलग  रंग  के  है | लाल, नीला, और  पीला, माता  के  भक्तो ! हमने  व्यवस्था  ये  की  है की  अब  प्रत्येक  शनिवार  को  एक  रंग  के  कार्ड  वाले  भगत  ही  दर्शनों  का  लाभ  प्राप्त  कर  पाएंगे|”


हॉल  में  तनिक  निराशाजनक  “होssss …..” की  आवाज  सुनाई दी |


“देखिये !  यह  व्यवस्था  आप  लोगो  की  सुविधा  के  लिए  ही  है !” शिव  चाचा  तनिक  जोर  देकर  बोले , “मसलन  हम  इस  शनिवार  को  यह  घोषणा  करेंगे  की  आनेवाले  शनिवार  को  किस  कलर  के  कार्ड  की बारी  है ! मान  लीजिये  नीले  रंग  वाले  कार्ड  वालो  की  घोषणा  हुई  तो  प्लीज़ …. उस  दिन  नीले  रंग  वाले कार्ड  वाले  ही  दर्शनो  के  लिए  आये | लाल  या  पीले  रंग  के  कार्ड  वालों  को  हॉल में  प्रवेश  करने  की  अनुमति  नहीं  मिलेगी | उसके  अगले  शनिवार  को  नीला  और  तीसरे  शनिवार  को  पीले  रंग  के  कार्ड  वालो  को  दुर्लभ  दर्शन मिलेंगे | यह  क्रम  ह़र  शनिवार  को  चलेगा |”


 हॉल  में  उपस्थित  संगत  में  से  कुछ  लोगो  ने  निराशात्मक  भाव  से  हाथ  लहराए |


“में  आपकी  भावना  को  समजाता  हूँ !” शिव  चाचा  तनिक  खेद  भरे  स्वर  में  बोले, “में  जानता  हूँ  आप  सभी  हर  शनिवार को  दर्शन  के  लिए  लालाचित  है | सज्जनों  और  देवियों  ! में  पहले  ही  निवेदन  कर  चूका  हूँ  की  यह  साड़ी  व्यवस्था  आप  सभी  श्रधालुओं  की  सुविधा  के  लिए  है | आप  तनिक  हमारे  सेवादारों की तरफ  भी  ध्यान  दीजिये| ये  सभी सेवादार और सेवादारियां निष्काम भाव  से  दोपहर  से  ही  व्यवस्था  में  जुट  जाते  है | देर  रात  तक, साड़ी  संगत  को  दर्शन  करवाने  के  बाद  इन  सबको  ‘माँ  श्री  राधे  शक्ति  माँ ’ के  दर्शन  नसीब  होते  है, तब  तक  थकान से  चूर  इन  सेवादारोकी  हालत देखकर किसीको  भी  तरस  आएगा | ये  सेवादार  ही  क्यों , यहाँ  की  व्यवस्था  सँभालने  वाले  सभी  कार्यकर्ताओं  संगमें गुप्ता  परिवार  के  सदस्यों  का  भी  यही  हाल  होता  है | इसलिए  आप सभी  ‘देवी  माँ ’ के  भक्तो  से  मेरी हाथ  जोड़कर  बिनिती  है, प्लीज़ ! प्लीज़ !! आप  इस  हम  सबकी  लाभकारी व्यवस्था  को  कामयाब  बनाना  में हमारा  सहयोग  करे | हम  लोग  शहरभर में  लगे  होअर्दिंग्स  द्वारा  सभी  को  सूचित  करेंगे  की  इस  शनिवार  किस  रंग  के  कार्ड  वाले  का  नंबर  है | इसके  अलावा भी  आप  ‘गौरव  कुमारजी  या  संजीव  गुप्ता से मोबाइल  पर  जानकारी  प्राप्त  कर  सकते  है | आप  लोगोको  यह  जानकार  भी  हर्ष  होगा  की  ‘पूज्य  श्री  राधे  माँ ’ के  लाइव  दर्शन  आप  घर  बैठे  भी  प्राप्त  कर सकते  है | लाखो  ‘पूज्य  श्री  राधे  माँ ’ के  अन्यन्य  भक्त www.globaladvertisers.in वेबसाइट  पर  लॉग इन  करके  यह  लाभ  प्राप्त  कर  रहे  है | 

जिन  लोगो  को  कार्ड  नहीं  मिला  वह  गौरव  कुमारजी  या  फिर  हमारे  अन्य  सेवादारों से  कार्ड  प्राप्त  कर  सकते  है | 


आईये  ! हम  फिर  माता  के  भजनों  का  आनंद  ले ! जिक्र  मेरी  आनंदमई ‘पूज्य  श्री  राधे  शक्ति  माँ ’ का ”

“बोल  सांचे  दरबार  की  जय …..!” संगत  ने  उत्साहपूर्वक  जिक्र  लगाया |



(निरंतर .....)

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